दिवाली का महत्त्व और इतिहास

दिवाली का परिचय

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो न केवल हिंदू धर्म में बल्कि सिख, जैन और बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह त्योहार मुख्य रूप से प्रकाश और अंधकार के बीच की लड़ाई का प्रतीक है। दिवाली को ‘दीयों की पंक्ति’ का अर्थ देने वाला शब्द ‘दीपावली’ से लिया गया है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञानता पर ज्ञान की, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

दिवाली का इतिहास

दिवाली का इतिहास हज़ारों वर्षों पुराना है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और घटनाएं जुड़ी हुई हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाई जाती है। राम, सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए नगरवासियों ने दीप जलाए थे, जिससे अयोध्या नगरी रोशन हो उठी थी। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में, दिवाली को भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है।

दिवाली का धार्मिक महत्त्व

दिवाली का धार्मिक महत्त्व बहुत व्यापक है। हिंदू धर्म में इस दिन को लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष माना जाता है, जिसे धन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। दिवाली की रात को लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए घरों की साफ-सफाई की जाती है और पूरे घर को दीपों से सजाया जाता है। सिख धर्म में, दिवाली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी, को मुक्त किया गया था। जैन धर्म में, इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वर्तमान में दिवाली

आधुनिक समय में, दिवाली का त्योहार न केवल भारत बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के बाहर रहने वाले भारतीय समुदाय भी इसे बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। दिवाली के दौरान लोग अपने घरों को दीपों और रंग-बिरंगे लाइट्स से सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। हालांकि, पटाखों के कारण बढ़ते प्रदूषण की समस्या के कारण कुछ क्षेत्रों में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

दिवाली और आर्थिक प्रभाव

दिवाली का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह त्योहार खरीदारी के लिए सबसे बड़ा अवसर होता है, जब लोग नए कपड़े, गहने, और घर के सामान खरीदते हैं। व्यापारियों के लिए यह समय साल का सबसे व्यस्त समय होता है। अध्ययन के अनुसार, 2020 में दिवाली के दौरान भारत में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण हुई आर्थिक मंदी ने इस बिक्री पर कुछ हद तक असर डाला था।

विवाद और चुनौतियां

दिवाली के साथ कुछ विवाद और चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। पर्यावरणविदों के अनुसार, दिवाली के दौरान पटाखों की वजह से वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसके अलावा, पटाखों की वजह से आग लगने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकारें और सामाजिक संगठनों ने जागरूकता अभियान चलाए हैं, ताकि लोग पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मना सकें।

निष्कर्ष

दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है और यह हमें अच्छाई, सत्य और ज्ञान का संदेश देता है। यह केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देता है। हालांकि, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इसे पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस खूबसूरत त्योहार का आनंद ले सकें।

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