मकर संक्रांति और इसके पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति का परिचय

मकर संक्रांति एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी महीने के मध्य में आता है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस समय को पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन की लंबाई बढ़ने की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। विशेष रूप से, मकर संक्रांति को शीत ऋतु के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार केवल भारत में ही नहीं, बल्कि नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में भी विशेष उत्साह से मनाया जाता है।

पौराणिक महत्व

मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व अत्यंत गहरा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत किया और धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना की। यह दिन देवताओं और असुरों के बीच हुए संघर्ष की समाप्ति का प्रतीक है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी ने भागीरथ के पीछे-पीछे पृथ्वी पर आकर कपिल मुनि के आश्रम को पवित्र किया था। इसलिए, गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

संस्कृति और परंपराएं

मकर संक्रांति पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार की परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। उत्तर भारत में इसे ‘खिचड़ी’ के नाम से जाना जाता है, जहां लोग खिचड़ी बनाते हैं और गरीबों को दान देते हैं। महाराष्ट्र में लोग तिल-गुड़ के लड्डू बनाते हैं और एक-दूसरे को देते हुए कहते हैं, “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला”। दक्षिण भारत में इसे ‘पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग नए चावल की फसल से पोंगल बनाते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे ‘पौष संक्रांति’ के रूप में मनाते हैं और यहां गंगा सागर मेला आयोजित होता है।

खगोलशास्त्रीय महत्व

मकर संक्रांति का खगोलशास्त्रीय महत्व भी है। यह वह समय होता है जब सूर्य अपनी दक्षिणायन यात्रा समाप्त कर उत्तरायण यात्रा शुरू करता है। इसे खगोलशास्त्र में ‘विंटर सोल्सटाइस’ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन के बाद दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह समय फसलों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह नई फसल के आगमन का संकेत देता है।

समाज पर प्रभाव

मकर संक्रांति का समाज पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है। यह समय सामाजिक मेलजोल, दान-पुण्य और भोज का होता है। लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर इस त्योहार का आनंद लेते हैं। इस दिन पतंगबाजी का भी विशेष महत्व होता है, विशेषकर गुजरात और राजस्थान में। पतंगबाजी लोगों को एकजुट करती है और सामाजिक संबंधों को मजबूत करती है। इस प्रकार, यह त्योहार न केवल धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आधुनिक दृष्टिकोण

आज के समय में, मकर संक्रांति का महत्व केवल धार्मिक और सांस्कृतिक नहीं रह गया है। यह त्योहार अब एक सामाजिक आयोजन का रूप ले चुका है। लोग इस दिन को एक अवसर के रूप में देखते हैं जब वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकते हैं। इसके साथ ही, यह त्योहार पर्यावरण चेतना को भी प्रोत्साहित करता है, क्योंकि इस दिन लोग तिल के लड्डू और खिचड़ी जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। इसके अलावा, पतंगबाजी के माध्यम से आसमान को रंगीन बनाना एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है।

निष्कर्ष

मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहरी जड़ों को दर्शाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और खगोलशास्त्रीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आधुनिक समय में, यह त्योहार सामाजिक एकता, पर्यावरण चेतना और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में उभर कर सामने आया है। इस प्रकार, मकर संक्रांति हमें न केवल हमारे अतीत से जोड़ती है, बल्कि हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनती है।

Leave a Comment